भारतीय पौराणिक साहित्य के अनुसार शकुन का निर्माण अथवा खोज श्रृष्टि के निर्माण के साथ ही, श्रष्टि की भलाई के लिए परम पिता ब्रह्मा जी ने किया था । शकुन शास्त्र बड़ा विशाल है । आज की परिस्थिति में शकुन शास्त्र से ज़्यादा से ज़्यादा लाभ बिना किसी विशेष परिश्रम के कैसे व किन शकुनों से लिया जा सकता है । इस उद्देश्य से हमने रामचरितमानस का सहारा लिया । गोस्वामी तुलसीदास जी ने भगवान राम के विवाह के समय उपस्थित शकुनों के बारे में लिखा है, की भगवान की बारात के सामने होने वाले सभी शकुन नाच उठे और अपने भाग्य की प्रशंसा करने लगे और ये उच्चारण करने लगे की हमारा शकुन होना आज सार्थक हो गया । उस समय होने वाले शकुनों में से ही कुछ हमने आज के लिये चुने है ।
भारत के पौराणिक ग्रंथ वास्तु शास्त्र और शकुन शास्त्र का अपनी-अपनी जगह महत्व है । परंतु वास्तु शास्त्र में शकुन शास्त्र शामिल है, लेकिन शकुनशास्त्र में वास्तु शास्त्र शामिल नहीं है । वास्तु शास्त्र का एक मात्र उद्देश्य ये है की अपने जातक का जीवन किसी समस्या के बिना आनंद पूर्वक व्यतीत हो । यह ही उद्देश्य शकुन शास्त्र का भी है । वास्तु शास्त्र अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए शकुन शास्त्र का सहारा भी लेता है । अपने जातक की समस्यों के समाधान हेतु ये सुझाव दिया जाता हैं, की विभिन्न स्थानों पर शकुन शास्त्र के अनुसार शुभ मूर्तियों की स्थापना करे । कई ऐसी मूर्तियाँ है लेकिन उन मे से कुछ मूर्तियाँ जो विद्वानों के द्वारा अधिक प्रमाणित है वो संख्या में ६ है । इन मूर्तियों को हमने 3 variant में बनाया है। जिनका बजट ज़्यादा नहीं है, उनके लिए Copper, मध्यम बजट वालो के लिये Silver Plated over Copper, उच्च बजट के लिए Gold Plated over Copper.
स्वास्तिक के बारे में क़रीब-क़रीब सभी भारत वर्षीय लोग जानते है । नवगृह पूजा या गृह प्रवेश पूजा या अन्य कोई भी पूजा हो ,सभी में स्वास्तिक बनाया या स्वास्तिक की मूर्ति रखी जाती है । इसका संबंध विघ्नविनाशक गणपति से जोड़ा जाता है । घर में सुख-शांति, विघ्न-नाश, लक्ष्मी के सुगम-आगमन हेतु इसे गृह द्वार पर स्थापित किया जाता है । स्वास्तिक बनाते समय ये ध्यान रखना चाहिये की रेखाये सीधी हो, मोटी पतली नहीं हो, टूटी हुई नहीं हो । हाथ से बनाने में कुछ न कुछ कमी रह ही जाती है । अतः किसी पात्र जैसे ताम्र ,सिल्वर, गोल्ड इत्यादि की हो तो शुभ और सुंदर होगा ।
कोई सुहागन स्त्री अपने बालक को गोद में लिये, या अंगुली पकड़ कर चलते हुए, और सिर पर पानी से भरा मटका लिए हुये जाती हुई दृष्टिगोचर हो तो ऐसी मूर्ति के दर्शन घर में सुख शांति एवं बचत हेतु श्रेष्ठ माना जाता है ।
गाय का महत्व पौराणिक ग्रंथों में विशद रूप में प्रदर्शित है । सिर्फ़ गाय के दर्शन को भी अच्छा शकुन माना जाता है । परंतु यदि गाय के साथ बछड़ा हो तो वो दृश्य एक सीढ़ी ऊपर हो जाता है । लेकिन यदि गाय अपने बछड़े को दूध पिलाती हुई दृष्टि गोचर हों जाय तो यह शकुन सर्वश्रेष्ठ माना जाता है । भगवान राम के विवाह में बारात के सामने सभी बारातियों को यह दर्शन हुए थे । जिसे मुनि वशिष्ठ ने मंगलकारी बताया था।
दो मछली को जल में अठखेलियाँ करते देखना भी एक शुभ शकुन है । अठखेलियाँ करती मछली निर्द्वंद जल में दिखना यह बच्चों के लिए शुभ है । यह बच्चों को निर्मल निर्द्वंद्व अठखेलियाँ करने की प्रेरणा देती है । भगवान राम की बारात को भी यह दृश्य नज़र आया था ।
हाथी भगवान गणेश का प्रतिबिंब माना जाता है। हाथी की एक विशेषता यह है, की वो जब चलना प्रारंभ करता है तो रुकता नहीं । हाथी धीरे-धीरे चलेगा लेकिन रुकेगा नहीं । यदि शृंगार किए हाथी के दर्शन हो जाय तो व्यापारी या व्यवसायी को मानना चाहिए की इनकम धीरे-धीरे चलती रहेगी । अंत में रिजल्ट यह होता है की धीरे-धीरे सेल्स भी बढ़ती है और Profit भी बढ़ता है । अतः इस तस्वीर को दीवार पर ऐसी जगह लगाना चाहिये, जहां से इसके दर्शन व्यापार या व्यवसाय अथवा नौकरी की लिए प्रस्थान करते समय हो सके ।
शकुन शास्त्र के अनुसार ऐसे दृश्य का देखना संबंधित व्यक्ति को राज योग का निर्माण करता है । ऐसा माना जाता है, की ऐसा दृश्य देखने वाले के लिए यह दृश्य राजयोग का निर्माण कर देता है। जो व्यक्ति उच्च राज्य अधिकारी बनने की इच्छा रखते है ये शकुन, इस शकुन का नित्य दर्शन उन्हें सफलता में मदद करता है ।
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