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भगवान परशुराम की जीवनी

अक्षय तृतीया ३ मई को है । भगवान परशुराम का जन्मदिन । भगवान परशुराम की जन्मतिथि इस दिन को मनायी जाती है । भगवान परशुराम , जिन्हें भगवान विष्णु का छटा अवतार माना जाता है का जन्म अक्षय तृतीया को ऋषि जमदग्नि के घर माता रेणुका के गर्भ से हुआ था । इनके पिता ब्राह्मण थे और माता क्षत्रिय वर्ण की थी । राजा कारतिविर्य अर्जुन द्वारा देव गाय सुरभि का हरण और ऋषि की हत्या परशुराम द्वारा राजा की हत्या और क्रोधावेश में २१ बार पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन करने करने के कार्यों को सभी सुन चुके है और जानते है । परशुराम जी की जीवन की कुछ एसी जानकारी जो सामान्य लोगों को नहीं है वो आप की समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ ।

१. परशुराम जी विष्णु के छटवे वतार थे |

२. पिता का नाम ऋषि जमदग्नि और माता का नाम रेणुका था जो क्षत्रिय कन्या थी ।

३. परशुराम जी की पत्नी का नाम धरणी देवी था जो लक्ष्मी जी का अवतार थी ।

४. धरणी देवी से आपके पाँच पुत्र हुए- वासु,विस्वसु, वृहदयनु,वरत्वकांवा

५. आपने २१ बार पृथ्वी को क्षत्रिय विहीन कर दिया था।

६. महाभारत काल में आपने भीष्म , द्रोण, रुक्मी और कर्ण को अस्त्र शस्त्र की शिक्षा दी थी |

७. कर्नाटक के लोकगीतों में परशुराम को देवी येल्लमा का पुत्र माना जाता है ।

८. भगवान परशुराम ने गोकर्ण से लेकर कन्यकुमारी तक का क्षेत्र ब्रह्मणो के रहने के लिए दिया था जो पहले समुद्र का ही भाग था, लेकिन परशुराम जी की प्रार्थना पर वरुण भगवान ने इसे ख़ाली कर दिया ये सारा क्षेत्र परशुराम क्षेत्र के नाम से जाना जाता है।

९. भगवान वरुण ने जो क्षेत्र ख़ाली किया था वो खारा और नमक से भरा हुवा था ।

अतः परशुराम जी ने वासुकि नाग को निवेदन किया और उन्होंने इस को स्वच्छ और रहने योग्य बना दिया । वासुकि नाग की इस सेवा से प्रसन्न होकर परशुराम जी ने उन्हें यंहा का रक्षक बना दिया। इस तरह पश्चिमी घाट का ये सारा क्षेत्र कोंकण कहलाया। भगवान परशुराम के मंदिर महाराष्ट्र , आंध्र, कर्नाटक, और गोवा में मिलते है ये भी किवदंति है की केरल में १०८ शिव मंदिर भगवान परशुराम ने बनवाएथे ।

भगवान परशुराम के जीवन की गाथा दक्षिण भारत में कुछ परिवर्तन की साथ याद की जाती है । यें कथा संक्षेप में निम्न है । कारतिविर्य अर्जुन ने अपने वन भ्रमण में जब देव गाय सुरभि (कामधेनु की पुत्री) का कमाल देखा तो उन्होंने उसे बलपूर्वक हरण कर लिया । परशुराम जी साँयकाल को जब आश्रम आए तो पिता ने उन्हें सारा हाल बताया । पिता की आज्ञा लेकर वे अर्जुन के नगर को चले । वंहा अर्जुन के सुरभि को वापस करने से मना करने पर युद्ध हुवा और परशुराम ज़ी ने राजा अर्जुन को मार दिया। और सुरभि को पिता को समर्पित कर दिया । जब पिता ने सुना की परशुराम ने राजा अर्जुन क़ो मार दिया है तो वे बड़े दुखी हुए।उन्होंने परशुराम जी को क्षेत्रिय हत्या के प्रायःश्चित के लिए भारत के सभी तीर्थ का स्नान करने के लिए कहा । परशुराम जी यात्रा के लिए चले गए । उनके पीछे से राजा अर्जुन के पुत्रों ने ऋषि की हत्या कर दी । वापस आने पर परशुराम जी ने सब सुना और वे बड़े क्रोधित हुए । वो तुरंत राजा के नगर गए और उसके पुत्रों को मार दिया और सम्पूर्ण कुल का नाश कर दिया । फिर भी परशुराम जी का क्रोध शान्त नही हुवा और उन्होंने क्षत्रिय नाश की प्रतिज्ञा ले ली | उन्होंने २१ बार क्षत्रियों का नाश किया । परशुराम जी सप्त चिरंजीवियों में आते है |

उनकी कभी मृत्यु नही होगी ।