Some unknown aspects about Hanuman ji

हनुमान जी के बारे में कुछ अनछुए पहलू:

हनुमान जी के पूर्व जन्म की कथा –  हनुमान जी पूर्व जन्म में भी रुद्र और विष्णु के अवतार थे । इस का वृतांत निम्न  प्रकार है । कथा के अनुसार एक बार हनुमान जी को अपना पूर्व जन्म जानने की इच्छा जागृत हुई। उन्होंने भगवान श्री राम से कहा कि “हे प्रभु आप तो अन्तर्यामी हैं। मुझे मेरा पूर्व जन्म बता दे। हे हनुमान, तुम पूर्व जन्म में मेरे और महादेव का मिश्रित अवतार थे।” तुम्हारा आधा शरीर विष्णु का अर्थात् मेरा था और आधा शरीर मेरे आराध्य भगवान भोलेनाथ का। तुमने उस जन्म में महाशनी नामक असुर का वध किया था, जिसने ब्रह्मदेव को प्रसन्न कर अनाकानेक वरदान प्राप्त किए थे। उसकी जटा में विद्युत की शक्ति थी, उसने देवराज इन्द्र को बन्दी बनाकर उनके भ्राता वरुण देव की पुत्री से बलपूर्वक विवाह किया था। इसके पश्चात् इन्द्र और उनकी पत्नी शची ने मेरी और महादेव की तपस्या की। जिसके बाद हमने विष्कपि रूप लिया और उसमें आधा शरीर मेरा और आधा शरीर महादेव का था। इसके बाद एक ही छलांग में पाताल लोक पहुंचकर तुमने महाशनी का वध कर दिया और उसके बाद विष्कपि ने तुम्हारे रूप में जन्म लिया।

१. हनुमान जी रुद्र के १९ वे अवतार है ।

२. हनुमान जी सप्त चिरंजीवी ( जो अमर है ) में आते है ।

३. हनुमान जी ने ही गोस्वामी तुलसीदास जी को भगवान राम और लक्ष्मण के दर्शन कराये थे ।

४. हनुमान जी ने भगवान सूर्य से विद्या ग्रहण की है । सूर्य भगवान मना कर रहे थे । उन्हें आशंका थी, की कहीं भूख लगने पर दोबारा वो सूर्य को निगल न जाये ।

५. क्योंकि भगवान सूर्य हमेशा चलयमान रहते है, अतः हनुमान जी उनके रथ के आगे उल्टे पाँव दोड़ते रहते थे । और ऐसे ही उन्होंने पूरी दसों विद्याओं का अध्ययन किया।

६. क्या आप जानते है की हनुमान जी ने बाल ब्रह्मचारी रहते हुए भी विवाह बंधन को स्वीकार किया था ? इसकी कथा इस प्रकार है । विद्या अध्यन के मध्य जब उन्होंने ६ विद्या ग्रहण कर ली थी । एक समस्या आ गई की शेष ४ विद्या के लिये शिष्य को  विवाहित होना आवश्यक था । ऐसे में सूर्य भगवान ने अपनी तपस्वी पुत्री सुवर्चला का विवाह हनुमान जी से कर दिया । लेकिन विवाह के तत्काल बाद सुवर्चला तपस्या के लिए चली गई और हनुमान जी ने अपने ब्रह्मचर्य को अक्षुण्ण रखा । इस विवाह के लिए वो अपने गुरु की आज्ञा से ही तैयार हुए थे ।

७ . शिक्षा के बाद उन्होंने गुरु दक्षिणा की प्रार्थना की तो सूर्य भगवान ने उनसे एक प्रतिज्ञा करायी की वो सुग्रीव ( जो सूर्य पुत्र है ) की रक्षा हमेशा करेंगे । और यही कारण था की हनुमान जी हमेशा सुग्रीव के साथ रहे ।

८. हनुमान जी के ५ भाई और थे । उनके नाम है :गतिमान , श्रुतिमान , धृतिमान , केतुमान और मतिमान।

९. भारत में एक मंदिर ऐसा भी है जहां हनुमान जी की पत्नी सहित पूजा की जाती है । उस स्थान का नाम इस प्रकार है:- तेलंगाना के खम्‍मम जिले में हनुमान जी और उनकी पत्नी सुवर्चला की पूजा होती है। यह विश्व का इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां हनुमान जी अपनी पत्नी के साथ पूजे जाते हैं। सूर्य तेज से उत्पन्न होने के कारण वह सूर्य पुत्री कहलाईं और इस लिहाज से सूर्य देव हनुमान जी के ससुर भी हुए।

१०. हनुमान जी के एक पुत्र भी है जिनका नाम  “मकरध्वज” है ।

HanumanJi

११.हनुमान जी के पूर्व जन्म की कथा –  हनुमान जी पूर्व जन्म में भी रुद्र और विष्णु के अवतार थे । इस का वृतांत निम्न  प्रकार है । कथा के अनुसार एक बार हनुमान जी को अपना पूर्व जन्म जानने की इच्छा जागृत हुई। उन्होंने भगवान श्री राम से कहा कि “हे प्रभु आप तो अन्तर्यामी हैं। मुझे मेरा पूर्व जन्म बता दे। हे हनुमान, तुम पूर्व जन्म में मेरे और महादेव का मिश्रित अवतार थे।” तुम्हारा आधा शरीर विष्णु का अर्थात् मेरा था और आधा शरीर मेरे आराध्य भगवान भोलेनाथ का। तुमने उस जन्म में महाशनी नामक असुर का वध किया था, जिसने ब्रह्मदेव को प्रसन्न कर अनाकानेक वरदान प्राप्त किए थे। उसकी जटा में विद्युत की शक्ति थी, उसने देवराज इन्द्र को बन्दी बनाकर उनके भ्राता वरुण देव की पुत्री से बलपूर्वक विवाह किया था। इसके पश्चात् इन्द्र और उनकी पत्नी शची ने मेरी और महादेव की तपस्या की। जिसके बाद हमने विष्कपि रूप लिया और उसमें आधा शरीर मेरा और आधा शरीर महादेव का था। इसके बाद एक ही छलांग में पाताल लोक पहुंचकर तुमने महाशनी का वध कर दिया और उसके बाद विष्कपि ने तुम्हारे रूप में जन्म लिया।

१२. तेरह नाम, उनके अर्थ और उनका महत्व संपादित करते है :-

1. हनुमान – जिनकी ठोड़ी टूटी हो

2. रामेष्ट – श्री राम भगवान के भक्त

3. उधिकर्मण – उद्धार करने वाले

4. अंजनीसुत – अंजनी के पुत्र

5. फाल्गुनसखा – फाल्गुन अर्थात् अर्जुन के सखा

6. सीतासोकविनाशक – देवी सीता के शोक का विनाश करने वाले

7. वायुपुत्र – हवा के पुत्र

8. पिंगाक्ष – भूरी आँखों वाले

9. लक्ष्मण प्राणदाता – लक्ष्मण के प्राण बचाने वाले

10. महाबली – बहुत शक्तिशाली वानर

11. अमित विक्रम – अत्यन्त वीरपुरुष

12. दशग्रीव दर्प: – रावण के गर्व को दूर करने वाले

13. वानरकुलथिन थोंडैमान – वानर वंश (तमिल) के वंशज

*हनुमान जी के तेरह नामों का नित्य नियम से पाठ करने से मनोकामना पूर्ण होती हैं।

*प्रातः काल उठते ही हनुमान जी के तेरह नामों का 11 बार पाठ करने वाला व्यक्ति दीर्घायु होता है।

*दोपहर के समय हनुमान जी के तेरह नामों के पाठ करने से लक्ष्मी जी की प्राप्ति होती हैं। धन-धान्य की वृद्धि होती है और घर में संपन्नता रहती हैं।

*संध्याकाल हनुमान जी के तेरह नामों का पाठ करने से पारिवारिक सुखों की प्राप्ति होती है।

*रात को सोते समय हनुमान जी के तेरह नामों का जाप करने से शत्रु का नाश होता है।

*मंगलवार को ये तेरह नाम लाल स्याही से भोजपत्र पर लिखकर ताबीज बनाकर बाजु पर बंधने से कभी सिर दर्द नहीं होता तथा शनिदेव की साढ़े साती और अढईया से मुक्ति मिलती है।

[ये सारी जानकारी विभिन्न स्तोत्रों से ली गई है।]

Read more

Hanuman, Hanuman Jayanti and Hanuman Chalisa.

हनुमान , हनुमान जयंती और हनुमान चालीसा ।

कल ६ अप्रैल २०२३ चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को हनुमान जी का जन्म दिवस मनाया जाता है ।  इस ब्लॉग में इन तीनो पर चर्चा करेंगे।

हनुमान

वाल्मीकि रामायण के अनुसार हनुमान एक वानर वीर है । ( वास्तव में वानर एक विशेष मानव जाती ही थी, जिसका धार्मिक लांछन (चिन्ह) वानर अथवा उनकी लाँगल थी । पुराण कथाओं में यही वानर (पशु) रूप में वर्णित है ।) भगवान राम को हनुमान ऋष्यमुक पर्वत के पास मिले थे । हनुमान जी राम के अनन्य मित्र, सहायक और भक्त सिद्ध हुए। सीता का अन्वेषण करने के लिए वे लंका गये । राम के दौत्य का इन्होंने अद्भुत निर्वाह किया।

राम रावण युद्ध में भी इनका पराक्रम प्रसिद्ध है । रामावत वैष्णव धर्म के विकास के साथ हनुमान का भी दैवीकरण हुआ। वे राम के पार्षद और पुनः पूज्य देव के रूप में मान्य हो गये । धीरे-धीरे हनुमत अथवा मारुति पूजा का एक संप्रदाय ही बन गया। हनुमत कल्प में इनके ध्यान और पूजा का विधान पाया जाता है ।

( उपरोक्त विवरण हिंदू धर्मकोष से साभार लिया गया है )

वर्तमान में हनुमान जन-जन के प्रिय देव के रूप में प्रतिष्ठित हो गये । ऐसे देव जो सहज ही करुणा करते है, और सहज ही मिलते है । जो भक्तों को अष्ट सिद्धि और नव निधि प्रदान करते है । संकटों और कष्टों का निवारण करते है । हनुमान जी पर इतना विश्वास जन-जन का है की संकट पड़ने पर लोग स्वाभाविक रूप से हनुमान चालीसा बोलने लगते है । इस दृढ़ विश्वास के साथ की हनुमान जी सब सही कर देंगे ।

हनुमान जयंती

वर्तमान में सनातन धर्म के  पुनरूत्थान की जो आँधी चल रही है, उसमे कुछ लोगों का मानना है की हनुमान जयंती का नाम जयंती न रख कर कुछ अन्य रखा जाय ।

ये नाम कुछ सुझाए गये है:-

१. हनुमान अवतरण दिवस ।

२. हनुमान जन्मोत्सव ।

३. हनुमान पूर्णिमा ।

४.हनुमत प्राकट्य दिवस ।

इनमे से जो भी धर्मानुकूल जन को प्रिय लगेगा उसी को कालांतर में मानने लगेंगे ।

हनुमान चालीसा

भारत के जन जन में हनुमान चालीसा ऐसे बसी हुई है, की बाल वृद्ध सभी की ज़बान पर अपने आप उच्चारित हो जाती है । परिणाम ये है की हनुमान और हनुमान चालीसा एका कार हो गये है ।

हनुमान चालीसा गोस्वामी तुलसीदास जी ने कब लिखी इस की कोई प्रामाणिक जानकारी नही है । मेरे विचार के अनुसार हनुमान चालीसा तुलसीदास जी के युवा अवस्था की ही रचना है । इस संबंध में श्री अमृत लाल नागर की पुस्तक मानस का हंस में जो वर्णन है वो उपयुक्त लगता है । उनके विद्याध्ययन के समय कुछ सहपाठी मित्रों द्वारा उकसाने पर वो रात के अंधेरे में एक पीपल के पेड के पास जाने को तैयार हो गये, जिसके बारे में प्रचलित था की वहा  ब्रह्मराक्षस रहता है । तब तुलसीदास जी ने दिन में हनुमान चालीसा की रचना की और रात्रि में उस पीपल के पेड तक निडर होकर गये । ये गोस्वामी जी की पहली पूर्ण रचना थी । धीरे-धीरे हनुमान चालीसा हर व्यक्ति की ज़बान पर हो गई।

आज पूरे भारत में ये स्थिति है की हनुमान, हनुमान चालीसा और तुलसीदास जी एक दूसरे के पर्याय बन गये है ।

Read more